उठे जब भी कलम
उठे जब भी कलम
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राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ( Rashtrakavi Maithili Sharan Gupt ) खड़ी बोली के महत्वपूर्ण एवं प्रथम-कवि थें आप, हिंदी-साहित्य में दद्दा नाम से पहचानें जाते आप। बांग्ला हिन्दी और संस्कृत भाषाऍं जानते थें आप, अनेंक उपाधियों से सम्मानित हुऍं गुप्त जी आप।। मैथिलीशरण गुप्त जी था जिनका प्यारा यह नाम, महावीरप्रसाद द्विवेदी की प्रेरणा से…

धूप सेंकने वो आती नहीं! ( Dhoop sekne wo aati nahi ) आओ कुछ काम करें हम भी जमाने के लिए, कोई रहे न मोहताज अब मुस्काने के लिए। लुप्त होने न पाए संवेदना इंसानों की, कुछ तो बची रहे इंसान कहलाने के लिए। सुनो,जालिमों हुकूक मत छीनों मजलूमों का, कभी न सोचो इनका…

मेरी माँ ( Meri Maa ) ( 3 ) दर्द भी दवा बन जाती है, तेरे पास आकर, रोती आँखें भी मुस्काती है, तेरे पास आकर, मंज़र-ए-क़यामत है,आँचल में तेरी ठंडी हवा, क्योंकि जन्नत भी रुकती है, तेरे पास आकर, कैसे बताऊँ किस कदर मोहब्बत है तुमसे माँ, ज़िंदगी भी ज़िंदगी लगती है, तेरे पास…

कवि और कुत्ता मैं कवि हूॅं,आधुनिक कवि हूॅं।शब्दों का सरदार हूॅं,बेइमानों में ईमानदार हूॅं । नेताओं का बखान करता हूॅं,सरकार का गुणगान करता हूॅं,योजनाओं की प्रशंसा करता हूॅं,फायदे का धंधा करता हूॅं,डर महराज का हैपीले यमराज का है। मैं संयोजक हूॅंसपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस का,मुझे महारत है रंग बदलने का,किसी मौसम, किसी परिवेश का,उधार में…

परिकल्पना ( Parikalpana ) बाइस में योगी आए हैं, चौबीस में मोदी आएगे। भारत फिर हो विश्व गुरू,हम ऐसा अलख जगाएगे। सदियों की अभिलाषा हैं, हर मन में दीप जगाएगे, हूंक नही हुंकार लिए हम, भगवा ध्वज लहराएगे। सुप्त हो रहे हिन्दू मन में, फिर से रिद्धम जगाएगे। जाति पंथ का भेद…

आनंद के पल ( Anand ke Pal ) जीवन की खुशीयों का मोल समझो। अपने परायें के सपनों को समझो। प्यार मोहब्बत की दुनिया को समझो। और समय की पुकार को समझो।। मन के भावों को समझते नही। आत्म की कभी भी सुनते नही। दुनिया की चमक को देखते हो। पर स्वयं को स्वयं में…