दिल को | Dil ki Shayari
दिल को
( Dil ko )
बे -इंतहा,
बे – हिसाब,
बे – पनाह,
बे- पायान
प्यार है ‘ गर
दिल को
बे – इंतहा,
बे – हिसाब,
बे- पनाह,
बे -पायान
दर्द भी होता है उस
दिल को..
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )
( Dil ko )
बे -इंतहा,
बे – हिसाब,
बे – पनाह,
बे- पायान
प्यार है ‘ गर
दिल को
बे – इंतहा,
बे – हिसाब,
बे- पनाह,
बे -पायान
दर्द भी होता है उस
दिल को..
लेखिका :- Suneet Sood Grover
अमृतसर ( पंजाब )
ढ़ल गये जिंदगी से ख़ुशी के दिन सब ढ़ल गये जिंदगी से ख़ुशी के दिन सब रह गये है ग़मों के दिन तक़दीर में मांगता हूँ ख़ुदा से दुआ रोज़ जो फ़िर भी होती नहीं है दुआ वो क़बूल ढूंढ़ता हूँ चेहरा शहर में वो मैं तो दें हमेशा वफ़ा जो…
ख़्वाब में आकर सताये ख़ूब कोई ( Khwab mein aakar sataye khoob koi ) ख़्वाब में आकर सताये ख़ूब कोई नीद से इतना जगाये ख़ूब कोई नफ़रत की सुनली जुबां मैंनें बहुत है गीत उल्फ़त के सुनाये ख़ूब कोई प्यासा हूँ मैं तो मुहब्बत का बरसो से प्यास उल्फ़त की बुझाये…
मन के जज्बात ( Man ke Jazbaat ) वह बातों में अपनी कभी अपने मन के जज्बात नहीं बताता है, पर फिर भी मेरी चिंता मुझसे छुपा नहीं पाता है। वह कहता है बात ना करना मुझसे, पर बिना बात किए वह खुद भी नहीं रह पाता है। उससे बात ना हो तो परेशान…
कभी अपनों ने ही समझा नहीं है ( Kabhi apno ne hi samjha nahin hai ) कभी अपनों ने ही समझा नहीं है ! दिल उनसे इसलिए अब मिलता नहीं है गली में इसलिए छाया अंधेरा कभी तक चाँद वो निकला नहीं है मुहब्बत की क्या होती गुफ़्तगू फ़िर कभी वो पास…
मुहब्बत की ख़ुशबू से मन भरा है ( Muhabbat KI Khushboo Se Man Bhara Hai ) मुहब्बत की ख़ुशबू से मन भरा है! गुलाबी फ़ूल मन में खिल रहा है मुहब्बत में हुआ घायल मैं ऐसा किसी की तीर आंखों का चला है रहा वो ग़ैर बनकर रोज़ मुझसे हंसी चेहरा…
हाल ए दिल भी समझो ( Haal e dil bhi samjho ) 1. क्यो करते हो सवाल, हाल ए दिल भी समझों। जीवन मे बडा बवाल, दर्द ए दिल को समझो। पी कर भांग धतूरा, जी करता है मै सो जाऊँ, मुश्किल में हुंकार, हमारे दिल को समझों। 2. दिल का दरिया भरा,…
ढ़ल गये जिंदगी से ख़ुशी के दिन सब ढ़ल गये जिंदगी से ख़ुशी के दिन सब रह गये है ग़मों के दिन तक़दीर में मांगता हूँ ख़ुदा से दुआ रोज़ जो फ़िर भी होती नहीं है दुआ वो क़बूल ढूंढ़ता हूँ चेहरा शहर में वो मैं तो दें हमेशा वफ़ा जो…
ख़्वाब में आकर सताये ख़ूब कोई ( Khwab mein aakar sataye khoob koi ) ख़्वाब में आकर सताये ख़ूब कोई नीद से इतना जगाये ख़ूब कोई नफ़रत की सुनली जुबां मैंनें बहुत है गीत उल्फ़त के सुनाये ख़ूब कोई प्यासा हूँ मैं तो मुहब्बत का बरसो से प्यास उल्फ़त की बुझाये…
मन के जज्बात ( Man ke Jazbaat ) वह बातों में अपनी कभी अपने मन के जज्बात नहीं बताता है, पर फिर भी मेरी चिंता मुझसे छुपा नहीं पाता है। वह कहता है बात ना करना मुझसे, पर बिना बात किए वह खुद भी नहीं रह पाता है। उससे बात ना हो तो परेशान…
कभी अपनों ने ही समझा नहीं है ( Kabhi apno ne hi samjha nahin hai ) कभी अपनों ने ही समझा नहीं है ! दिल उनसे इसलिए अब मिलता नहीं है गली में इसलिए छाया अंधेरा कभी तक चाँद वो निकला नहीं है मुहब्बत की क्या होती गुफ़्तगू फ़िर कभी वो पास…
मुहब्बत की ख़ुशबू से मन भरा है ( Muhabbat KI Khushboo Se Man Bhara Hai ) मुहब्बत की ख़ुशबू से मन भरा है! गुलाबी फ़ूल मन में खिल रहा है मुहब्बत में हुआ घायल मैं ऐसा किसी की तीर आंखों का चला है रहा वो ग़ैर बनकर रोज़ मुझसे हंसी चेहरा…
हाल ए दिल भी समझो ( Haal e dil bhi samjho ) 1. क्यो करते हो सवाल, हाल ए दिल भी समझों। जीवन मे बडा बवाल, दर्द ए दिल को समझो। पी कर भांग धतूरा, जी करता है मै सो जाऊँ, मुश्किल में हुंकार, हमारे दिल को समझों। 2. दिल का दरिया भरा,…
ढ़ल गये जिंदगी से ख़ुशी के दिन सब ढ़ल गये जिंदगी से ख़ुशी के दिन सब रह गये है ग़मों के दिन तक़दीर में मांगता हूँ ख़ुदा से दुआ रोज़ जो फ़िर भी होती नहीं है दुआ वो क़बूल ढूंढ़ता हूँ चेहरा शहर में वो मैं तो दें हमेशा वफ़ा जो…
ख़्वाब में आकर सताये ख़ूब कोई ( Khwab mein aakar sataye khoob koi ) ख़्वाब में आकर सताये ख़ूब कोई नीद से इतना जगाये ख़ूब कोई नफ़रत की सुनली जुबां मैंनें बहुत है गीत उल्फ़त के सुनाये ख़ूब कोई प्यासा हूँ मैं तो मुहब्बत का बरसो से प्यास उल्फ़त की बुझाये…
मन के जज्बात ( Man ke Jazbaat ) वह बातों में अपनी कभी अपने मन के जज्बात नहीं बताता है, पर फिर भी मेरी चिंता मुझसे छुपा नहीं पाता है। वह कहता है बात ना करना मुझसे, पर बिना बात किए वह खुद भी नहीं रह पाता है। उससे बात ना हो तो परेशान…
कभी अपनों ने ही समझा नहीं है ( Kabhi apno ne hi samjha nahin hai ) कभी अपनों ने ही समझा नहीं है ! दिल उनसे इसलिए अब मिलता नहीं है गली में इसलिए छाया अंधेरा कभी तक चाँद वो निकला नहीं है मुहब्बत की क्या होती गुफ़्तगू फ़िर कभी वो पास…
मुहब्बत की ख़ुशबू से मन भरा है ( Muhabbat KI Khushboo Se Man Bhara Hai ) मुहब्बत की ख़ुशबू से मन भरा है! गुलाबी फ़ूल मन में खिल रहा है मुहब्बत में हुआ घायल मैं ऐसा किसी की तीर आंखों का चला है रहा वो ग़ैर बनकर रोज़ मुझसे हंसी चेहरा…
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